अयोध्या की यात्रा

अयोध्या की यात्रा : अयोध्या भारत के उत्तरप्रदेश राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है । यह स्थान हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और रामायण, एक प्राचीन भारतीय ऐतिहासिक काव्य, के अनुसार भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

अयोध्या भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर ज़िले में स्थित है और सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। यह एक प्राचीन नगर है जिसे साम्राज्य, सांस्कृतिक, और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।

अयोध्या में राम जन्मभूमि के रूप में विख्यात है, जहां हिन्दू धर्म के अनुयायी बार-बार आकर्षित होते हैं। अयोध्या में रामलला का मंदिर, जिसे राम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, का मुद्दा लंबे समय से विवादित रहा है। इस मंदिर के स्थान पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी, जो 1992 में तोड़ दी गई थी, जिसके बाद भूमि के विवाद का मुद्दा बढ़ गया था।

सरकार ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद स्थान को संदर्भित करने के लिए एक समिति का गठन किया था, और सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस मामले के निर्णय को फैसले किया और रामलला के मंदिर के लिए स्थान की नींव रखने का आदान-प्रदान किया।

अयोध्या ने भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है और यह आज भी लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

अयोध्या की यात्रा

अयोध्या की यात्रा विशेष रूप से हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां भगवान राम का जन्म हुआ था, और इसका स्थान रामलला के मंदिर के रूप में विख्यात है। यहां के मंदिर और धार्मिक स्थलों की यात्रा हिन्दू भक्तों के लिए एक पवित्र साधना है।

अयोध्या की यात्रा अक्सर भक्तों द्वारा राम लला के मंदिर के दर्शन के लिए की जाती है। यहां के मुख्य स्थलों में श्रीराम जन्मभूमि, हनुमान गढ़ी, रामकोट, कानक भवन, गुप्तहरि, सीता रसोइया, राम की पैठ, बाबरी मस्जिद का स्थान (अब राम जन्मभूमि मंदिर के रूप में जाना जाता है) आदि शामिल हैं।

यहां की यात्रा अक्सर रामनवमी और दीपावली जैसे धार्मिक त्योहारों पर विशेष रूप से प्रचलित है। इन त्योहारों पर लाखों भक्त अयोध्या की ओर बढ़ते हैं और रामलला के मंदिर में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

यात्रियों को यहां पहुंचने के लिए विभिन्न साधनाएं और व्यावसायिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो उन्हें यात्रा के दौरान सहायता करती हैं। इसके अलावा, स्थानीय बाजारों में विभिन्न धार्मिक और सौंदर्यिक आकर्षणों का आनंद लेने का भी अवसर है।

दर्शनीय स्थल

अयोध्या की यात्रा अक्सर भक्तों द्वारा राम लला के मंदिर के दर्शन के लिए की जाती है। यहां के मुख्य स्थलों में श्रीराम जन्मभूमि, हनुमान गढ़ी, रामकोट, कानक भवन, गुप्तहरि, सीता रसोइया, राम की पैठ, बाबरी मस्जिद का स्थान (अब राम जन्मभूमि मंदिर के रूप में जाना जाता है), श्री नागेश्वरनाथ मंदिर, त्रेता के ठाकुर, तुलसी स्मारक भवन, अयोध्या में जैन मंदिर, मणि पर्वत, सरयू नदी, क्वीन हो मेमोरियल पार्क, सूरज कुंड, गुरुद्वारा, बहू-बेगम का मकबरा आदि शामिल हैं।

अयोध्या की यात्रा | हनुमान गढ़ी

  • इसका निर्माण एक किले की आकृति में हुआ है तथा 76 सीढ़ियाँ चढ़ कर यहाँ पहुंचा जा सकता है, इस तीर्थ नगर में 10वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं | इसके हर कोने पर वृत्ताकार मोर्चाबंदी की गई है तथा ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह वह स्थान है जहां हनुमान जी एक गुफा में रहे थे तथा नगर की रक्षा की थी |
  • इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है, यह अयोध्या के सबसे सम्मानित स्थानों में से एक माना जाता है |
  • प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु हनुमान जी के पूजन तथा बुराइयों से अपनी रक्षा तथा समृद्धि व प्रसन्नता हेतु हनुमान गढ़ी के दर्शन करते हैं
  • हनुमान गढ़ी में एक बड़ा मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी को उनके वीरता और भक्ति की अद्भुतता में दिखाया गया है। यहां भक्त आकर अपने मनोभावनुसार पूजा अर्चना करते हैं और हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

अयोध्या की यात्रा | रामकोट

(ग्रीष्म – 6:30 पूर्वाह्न से 10:30 बजे पूर्वाह्न तथा 3:00 बजे अपराहन से 6:00 बजे अपराहन तक, शीतकाल – 7:30 बजे पूर्वाह्न से 10:30 बजे पूर्वाह्न तक तथा 2:00 वजे अपराहन से 5:00 बजे अपराहन तक) यह एक ऊंचे भूभाग पर स्थित है तथा मंदिरों से परिपूर्ण है, यह अयोध्या के प्रमुख आकर्षणों में से एक है | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यहाँ चैत्र मास में (मार्च-अप्रैल) में राम नवमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है | इस समय न केवल पूरे देश बल्कि विश्व भर से तीर्थयात्री यहाँ एकत्र होते हैं तथा भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं |

अयोध्या की यात्रा | श्री नागेश्वरनाथ मंदिर

  • भगवान नागेश्वर नाथ जी अयोध्या के प्रमुख अधिष्ठाता माने जाते हैं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने भगवान नागेशवरनाथ जी को समर्पित इस सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • यहाँ स्थापित शिवलिंग को बहुत प्राचीन काल का माना जाता है | लोक कथाओं के अनुसार कुश सरयू नदी में स्नान ग्रहण कर रहे थे तभी उनका बाजूबंद पानी में गिर गया | कुछ समय बाद एक नाग कन्या वहाँ प्रकट हुई तथा उनका बाजूबंद उन्हें लौटा दिया | वे दोनो एक दूसरे के प्रेम के वशीभूत हो गएं एवं इसके पश्चात कुश द्वारा उनके लिए इस मंदिर का निर्माण भी कराया गया |
  • अयोध्या के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथा सम्मानित मंदिरों में से एक होने के कारण यहाँ महाशिवरात्रि के उत्सव पर पूरे देश से बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं |

अयोध्या की यात्रा | कनक भवन

  • अयोध्या की यात्रा मे कनक भवन एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है ।
  • टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) की रानी वृषभानु कुंवरि, ने 1891 में उत्कृष्टता से अलंकृत इस मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • मुख्य मंदिर में एक आंतरिक खुला भाग है जहां रामपद का एक पवित्र मंदिर है | सीता माता तथा भगवान राम के साथ उनके तीनों भ्राताओं की मूर्तियां अत्यंत सुंदर प्रतीत होती हैं |

अयोध्या की यात्रा | तुलसी स्मारक भवन

  • तुलसी स्मारक भवन महान संत कवि गोस्वामी तुलसी दास जी को समर्पित है | इस परिसर में अयोध्या शोध संस्थान भी स्थित है जिसमें गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रचनाओं का संकलन है |
  • तुलसी स्मारक सभागार में प्रतिदिन 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक रामलीला का मंचन किया जाता है जो अयोध्या की यात्रा मे एक प्रमुख आकर्षण है |

अयोध्या की यात्रा | त्रेता के ठाकुर

  • यह मंदिर काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है,ऐसा माना जाता है कि इसी सुंदर मंदिर में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था।
  • कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था | बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया | यहाँ स्थापित मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं | ,ऐसा माना जाता है कि ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की हैं |

अयोध्या की यात्रा | अयोध्या में जैन मंदिर

  • यह मात्र भगवान राम का जन्मस्थल ही नहीं बल्कि जैनियों के लिए भी बहुत उच्च महत्त्व का स्थान है , विश्वास किया जाता है कि यहाँ पर 5 जैन तार्थंकरों ने जन्म लिया है |
  • प्रतिवर्ष, अनुयायी यहाँ बड़ी संख्या में इन महान संतों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने हेतु पहुँचते हैं तथा विशेष आयोजनों में भाग लेते हैं | पूरे पवित्र नगर में बहुत से जैन मंदिर भी हैं, स्वर्गद्वार के निकट भगवान आदिनाथ का मंदिर, गोलाघाट के निकट भगवान अनंतनाथ का मंदिर, रामकोट में भगवान सुमननाथ का मंदिर , सप्तसागर के निकट भगवान अजीतनाथ का मंदिर तथा सराय में भगवान अभिनंदन नाथ का मंदिर दर्शनीय है |
  • रानीगंज क्षेत्र में एक विशाल जैन मंदिर स्थापित है, इसमें प्रथम तीर्थांकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेवजी) की 21 फुट ऊंची प्रतिमा विशेष रूप से स्थापित है |

अयोध्या की यात्रा | मणि पर्वत

ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी घायल लक्ष्मण के उपचार हेतु संजीवनी बूटी के साथ विशाल पर्वत को उठा कर लंका ले जा रहे थे, तो रास्ते में इसका कुछ भाग गिर गया | इससे निर्मित पहाड़ी जो 65 फुट ऊंची है, मणि पर्वत के नाम से जाती जाती है |

अयोध्या की यात्रा | छोटी देवकाली मंदिर

नया घाट के निकट स्थित यह मंदिर हिन्दू महाकाव्य महाभारत की अनेकों दंतकथाओं से संबन्धित है | किवदंतियों के अनुसार, माता सीता अयोध्या में भगवान राम के साथ अपने विवाहोपरांत देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आयीं थीं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया तथा इस मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था | माता सीता यहाँ प्रतिदिन पूजा करती थीं| वर्तमान में यह देवी देवकाली को समर्पित है और इसी कारण इसका यह नाम पड़ा |

अयोध्या की यात्रा | गुप्तार घाट

सरयू नदी के किनारे स्थित यह वह स्थान है जहां भगवान राम ने जल समाधि ली थी | राजा दर्शन सिंह ने इसे 19वीं शताब्दी के पहले चरण में निर्मित करवाया था |यहाँ घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर तथा हनुमान मंदिर का दर्शन किया जा सकता है |

अयोध्या की यात्रा | बहू-बेगम का मकबरा

  • यह बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का अंतिम विश्राम स्थल है, जो नवाब शुजाऊद्दौला की बेगम थीं | यह मकबरा अवधी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है | सम्पूर्ण परिसर हरियाली से भरा है तथा अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) के अंतर्गत एक संरक्षित स्थल है तथा इसकी देखरेख शिया बोर्ड कमेटी (लखनऊ) द्वारा किया जाता है | मुहर्रम के दौरान इसकी जीवंतता देखते ही बनती है |
  • यह अयोध्या की सबसी ऊंची इमारत है तथा इसके ऊपरी भाग से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है |

अयोध्या की यात्रा | गुरुद्वारा

  • ब्रह्म कुंड तथा नज़रबाग में स्थित गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी, गुरु तेग बहादुर जी तथा गुरु गोविंद सिंह जी से संबन्धित है | बड़ी संख्या में अनुयायी इन गुरुद्वारों के दर्शन करते हैं तथा श्रद्धा से शीश झुकाते हैं |

अयोध्या की यात्रा | सूरज कुंड

  • यह दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर अयोध्या से 4 किमी की दूरी पर स्थित है | सूरज कुंड एक बहुत बड़ा तालाब है जो चारों ओर से घाटों से घिरा है तथा आगंतुकों हेतु अति सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है | ऐसा विश्वास किया जाता है कि अयोध्या के सूर्यवंशी शासकों ने भगवान सूर्य के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने हेतु इस कुंड का निर्माण करवाया था |

अयोध्या की यात्रा | सरयू नदी

  • उत्तर प्रदेश के प्रमुख जलमार्गों में से एक, सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों यथा वेद तथा रामायण में मिलता है | “जो प्रवाहित हो रहा है” का वास्तविक अनुवाद किया जाए तो यह प्रवाह अयोध्या से होकर बहता है तथा ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस नगर को पुनर्युवा बनाए रखता है तथा इस धार्मिक नगरी की अशुद्धियों को धो देता है |
  • विभिन्न धार्मिक अवसरों पर यहाँ सहस्रों श्रद्धालु वर्ष भर इस नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं |
  • अयोध्या की यात्रा मे यह एक मुख्य आकर्षण है।

अयोध्या की यात्रा | क्वीन हो मेमोरियल पार्क

  • उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी अयोध्या प्रतिवर्ष सैंकड़ों दक्षिण कोरियाई लोगों को आकर्षित करती है जो यहाँ प्रसिद्ध रानी ‘हो-हवांग ओके’ को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु आते हैं। किवदंति के अनुसार, रानी ‘हो-हवांग ओके’, जो राजकुमारी सुरिरत्ना के नाम से भी जानी जाती हैं, दक्षिण कोरिया के ‘करक’ वंश के राजा किम सूरो से 48 ईस्वी में विवाह कर वहीं बस जाने से पूर्व अयोध्या की राजकुमारी थीं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि वे एक नाव से कोरिया पहुँचीं तथा गेयुम्ग्वान गया के राजा सूरो की प्रथम रानी बनीं | वे 16 वर्ष की थीं जब उन्होंने विवाह किया तथा वे गया राज्य की प्रथम रानी मानी जाती हैं |
  • उनका स्मारक अयोध्या में स्थित होने के कारण ही करक वंश के 60 लाख लोग इस नगरी को रानी ‘हर-हवांग ओके’ का मायका मानते हैं | अयोध्या में इस स्मारक का प्रथम बार वर्ष 2001 में उदघाटन में किया गया था |

अयोध्या की यात्रा | कुंड तथा घाट

  • यहाँ के प्रसिद्ध घाट तथा कुंड हैं राज घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, तुलसी घाट, स्वर्गद्वार घाट, जानकी घाट, विद्या कुंड, विभीषण कुंड, दंत धवन कुंड, सीता कुंड इत्यादि | अन्य आकर्षक स्थानों में अमोवन मंदिर, दशरथ महल, जानकी महल, लक्ष्मण क़िला, लव-कुश मंदिर, मत्ताज्ञानदाजी मंदिर, राज गद्दी, श्री राम जानकी बिड़ला मंदिर तथा वाल्मीकि रामायण भवन प्रमुख हैं |

अयोध्या की यात्रा | गुलाब बाड़ी

  • जैसा कि नाम से प्रकट होता है कि गुलाब बाड़ी एक गुलाब बगीचा है | विशाल बगीचे के अंदर ही शुजाऊद्दौला व उसके परिवार का मकबरा है |बगीचे की स्थापना 1775 ईस्वी में हुई तथा इसमें गुलाब के फूलों की बहुत सी प्रजातियाँ हैं | शानदार मकबरे का एक बहुत बड़ा गुंबद है तथा ये एक दीवार से घिरा हुआ है | इस परिसर में प्रवेश हेतु दो बड़े द्वार हैं |

अधिक जानकारी के लिए up tourism की आधिकारिक वेबसाईट से अयोध्या सेक्शन मे जायें ।

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