Mathura Vrindavan; क्या आप भी है कृष्णा के दीवाने, और आना चाहते है श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन में, लेकिन समय कम है? कोई बात नहीं! तो आप बिल्कुल सही जगह पर है। आज हम बात करेंगे की आप दो दिनों में श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन का सम्पूर्ण आनंद कैसे उठा सकते है।
क्या आप कभी भी मथुरा वृंदावन नहीं आए हो? आपको कुछ भी नहीं पता है की कैसे आना है? कहाँ रुकना है? कैसे घूमना है? कब आना सही रहेगा? ऐसे ही बहुत सारे सवाल आपको परेशान कर रहे है? तो टेंशन नहीं लेने का आज आपको आपके सारे सवालों के जबाब मिलेंगे। और हो सकता है आर्टिकल खतम होते होते आपका Mathura Vrindavan का Full Tour करने का प्लेन भी फाइनल हो जाये।
तो मेरे सभी कृष्ण प्रेमियों स्वागत है आपका इस प्यारे से लेख में। मैं हूँ आपकी होस्ट पूजा और आज इस लेख के माध्यम से बात करूंगी की कैसे आप मात्र 2 दिनों मे ही Mathura Vrindavan Full Tour कर सकते है। आज मैं आपको Mathura Vrindavan के सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर स्थलों के दर्शन कराऊँगी, साथ ही आपको इस वर्चुअल यात्रा के दौरान ध्यान रखने वाली सभी बातों के बारे में जानकारी दूँगी। तो चलिए, बिना समय गवाए, शुरू करते हैं इस आध्यात्मिक यात्रा को!
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"श्रीकृष्ण की नगरी में आपका स्वागत है! वैसे तो कृष्णा नगरी में जाने के बाद आने का मन करता नहीं किसी का क्यों की जो एक बारी कृष्ण की नगरी आया समझो कृष्ण का ही हो गया। बोलो राधे राधे।
पर क्या आप तैयार है भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान और उनकी लीला स्थली की पूरी यात्रा सिर्फ 48 घंटों में पूर्ण करने के लिए !” तो बोलो राधे राधे।
क्या आपके मन में भी ये सभी सवाल उमड़ रहे है?
- कम समय में मथुरा और वृंदावन की पूर्ण आध्यात्मिक यात्रा कैसे करें?
- समय कम है,2 दिन में मथुरा-वृंदावन की हर खूबसूरत जगह का आनंद कैसे लें?
- मथुरा से वृंदावन की दूरी कितनी है और वहाँ पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
- मथुरा और वृंदावन में घूमने की सबसे अच्छी जगहें कौन सी हैं?
- मथुरा-वृंदावन यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
- मथुरा-वृंदावन यात्रा का कुल खर्च कितना होगा?
- मथुरा और वृंदावन में रुकने के लिए सबसे अच्छे होटल या धर्मशाला कौन से हैं?
- मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन के लिए समय और नियम क्या हैं?
- बांके बिहारी मंदिर और ISKCON मंदिर में आरती के समय क्या हैं?
- मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर कैसे जाएं और क्या विशेष निर्देश हैं?
- क्या मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में कोई ड्रेस कोड है?
- दिल्ली से मथुरा कैसे पहुंचें ट्रेन या बस द्वारा?
- मथुरा-वृंदावन में खरीदारी के लिए सबसे अच्छे स्थान कौन से हैं?
- क्या मथुरा और वृंदावन दोनों को एक ही दिन में कवर किया जा सकता है?
- मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में भीड़ से बचने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
- मथुरा-वृंदावन में घूमने के दौरान गोवर्धन पर्वत और अन्य स्थलों को कैसे शामिल करें?
- मथुरा-वृंदावन में यात्रा के दौरान बच्चों और परिवार के साथ घूमना सुरक्षित है?
- मथुरा और वृंदावन में सबसे प्रसिद्ध त्योहार और आयोजन कौन से हैं?
- क्या मथुरा-वृंदावन में खाने के लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन की सुविधा है?
- क्या मथुरा और वृंदावन में जाने के लिए किसी भी स्थान पर एंट्री फीस लगती है?
- मथुरा से वृंदावन जाने के लिए कैब या ऑटो का किराया कितना है?
आज हम इस लेख के माध्यम से इन्ही सवालों के जबाब जानेंगे। यह भी पढे:निधिवन वृंदावन का रहस्य: क्या सच में आते हैं श्रीकृष्ण?
How to reach? | कैसे पहुँचे?
मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है, जिसे पूरे भारत से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मथुरा पहुँचने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
रेल मार्ग से मथुरा पहुँचना (By Train)
सबसे सस्ता और सबसे आसान तरीका है रेलवे से मथुरा जाना आप किसी भी शहर से आसानी से मथुरा जंक्शन के लिए ट्रेन टिकट लेके आ सकते है?
प्रमुख ट्रेनें: शताब्दी एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस, ताज एक्सप्रेस और अन्य कई ट्रेनें दिल्ली से मथुरा के लिए चलती हैं।दिल्ली से दूरी: मथुरा, दिल्ली से लगभग 145 किलोमीटर दूर है, और ट्रेन से यह दूरी 1.5 से 2 घंटे में पूरी की जा सकती है।
सड़क मार्ग से मथुरा पहुँचना (By Bus or By Taxi/Cab or car)
मथुरा, भारत के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपनी गाड़ी से या सार्वजनिक परिवहन (बस, टैक्सी) से मथुरा पहुँच सकते हैं। कई ऑनलाइन कैब सेवाएँ जैसे Uber, Ola भी उपलब्ध हैं जो आपको आराम से मथुरा पहुँचा सकती हैं।
- दिल्ली से मथुरा: दिल्ली से मथुरा की दूरी लगभग 145 किलोमीटर है। आप यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) से मथुरा आसानी से 2-3 घंटे में पहुँच सकते हैं। दिल्ली से मथुरा के लिए बस का किराया ₹200 से ₹500 तक हो सकता है, बस के प्रकार के अनुसार। दिल्ली से मथुरा तक टैक्सी किराया लगभग ₹2000 से ₹4000 तक हो सकता है, गाड़ी के प्रकार और दूरी के अनुसार।
- आगरा से मथुरा: आगरा से मथुरा की दूरी करीब 60 किलोमीटर है, जिसे सड़क मार्ग से लगभग 1 घंटे में कवर किया जा सकता है।
- बस सेवाएँ: दिल्ली, आगरा, जयपुर, लखनऊ जैसे शहरों से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बस सेवाएँ मथुरा के लिए उपलब्ध हैं।
हवाई मार्ग से मथुरा पहुँचना (By Air)
मथुरा का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन निकटतम हवाई अड्डा आगरा (Agra) में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हवाई अड्डा (आगरा एयरपोर्ट) है, जो मथुरा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
- निकटतम बड़ा हवाई अड्डा: इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली (Indira Gandhi International Airport, Delhi), मथुरा से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
- कैसे पहुँचें: दिल्ली एयरपोर्ट से आप टैक्सी, बस या ट्रेन के ज़रिए मथुरा तक पहुँच सकते हैं। दिल्ली से मथुरा के लिए सीधी ट्रेन सेवाएँ उपलब्ध हैं।
मथुरा से वृंदावन कैसे पहुँचे?
वृंदावन मथुरा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां आप टैक्सी या ई-रिक्शा या सिटी बस से आसानी से पहुंच सकते हैं। ऑटो या टैक्सी जहां मथुरा जंक्शन से वृंदावन तक से Rs300 से 400 चार्ज करते है। वहीं सिटी बस आपको मात्र 30 रुपया मे वृंदावन पहुंचा देती है जहां आप 100 फुट नामक स्थान पर रुक कर Rs10-15 में ऑटो से प्रेम मंदिर के आसपास के किसी भी होटल मे रुक सकते है।
आवास (Accommodation)
Mathura Vrindavan में सभी प्रकार के बजट में रहने की सुविधाएं उपलब्ध हैं। धर्मशाला, गेस्ट हाउस, और होटल आसानी से मिल जाते हैं। वृंदावन में कई आश्रम भी हैं, जहां आप शांति से ठहर सकते हैं।
जहां धर्मशाला, गेस्ट हाउस Rs300-600 में, होटल Rs1200-2000, और कई लग्शरी होटल भी उपलव्ध है। साथ ही कई धर्मशालायें निशुल्क आवास की सुविधा भी देती है।
खास टिप: यात्रा के मौसम में पहले से बुकिंग कर लें, ताकि आपको रुकने में कोई समस्या न हो और समय की बचत हो। और सबसे महत्वपूर्ण बात होटल स्टेशन या फिर प्रेम मंदिर या फिर कृष्ण जन्मभूमि के पास ही ले ताकि समय व्यर्थ न जाये।
भोजन (Food)
Mathura Vrindavan में शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है। यहां के प्रसिद्ध पेड़े, मालपुआ और लस्सी का आनंद लेना न भूलें।
खास टिप: मंदिरों के पास छोटे-छोटे ढाबों में खाने का अलग ही मजा है, वहां का प्रसाद भी बहुत स्वादिष्ट होता है।
Mathura Vrindavan – Day 1
तो दोस्तों हम Mathura Vrindavan Full Tour के पहले दिन की शुरुआत मथुरा और गोकुल टूर से करेंगे। तो day 1 मे हम निम्नलिखित टेम्पलेस को विज़िट करेंगे। और राधे राधे बोलने की आदत डाल लो क्यों की यहाँ जो आया है बिना राधे का हुए बपास नहीं जा पाता —
क्योंकि कहते है न, वृंदावन का कण कण बोले श्री राधा राधा, श्री राधा राधा!
राधे राधे!
तो हम हमारे दिन की शुरुआत करेंगे mathura vrindavan के श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से —
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (Shri Krishna Janmabhoomi Temple)
आपकी mathura vrindavan की यात्रा की शुरुआत मथुरा के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र स्थल, श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से होनी चाहिए। यह वही स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यहां की आभा और आध्यात्मिक वातावरण आपको भीतर तक छू लेगा। मंदिर की दीवारों पर भगवान कृष्ण के जीवन की अद्भुत झांकियाँ और चित्रांकन हैं, जो आपको उनके दिव्य जीवन की झलकियाँ दिखाते हैं। यह मदिर इतना भव्य है की इसकी खूबसूरती का व्याख्यान शब्दों मे करना पॉसिबल नहीं है।
यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है और हर साल दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत करता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राजा कंस के कारागार में जन्म लिया था। मथुरा के इस प्राचीन स्थल पर आकर आपको अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होगा। यहाँ की प्राचीन दीवारें और भवन भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत जीवन की कहानियों को जीवंत कर देते हैं।
मथुरा जंक्शन से मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है, जिसे आप ऑटो या टैक्सी के माध्यम से आसानी से तय कर सकते हैं
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महत्वपूर्ण सुझाव
- मंदिर में प्रवेश के लिए आपको सख्त सुरक्षा जाँच से गुजरना होगा, इसलिए अपने साथ कोई भी अनावश्यक वस्तु न ले जाएँ।
- मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं है।
- मंदिर परिसर में मोबाईल, कैमरा, पर्स, हैन्ड्बैग आदि ले जाना प्रतिबंधित है।
- ध्यान रखें कि मंदिर के अंदर शांति बनाए रखें और अन्य भक्तों का आदर करें।
मंदिर के दर्शन और समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और आप यहाँ सुबह 5:00 बजे से रात 9:30 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। लेकिन यहाँ के सभी मंदिर दोपहर के 12 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहते है। विशेष अवसरों और त्योहारों पर यहाँ भक्तों की भीड़ अत्यधिक होती है। जन्माष्टमी के समय यहाँ विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है, जो पूरे भारत से भक्तों को आकर्षित करता है।
खास टिप: मंदिर सुबह जल्दी खोलता है, तो कोशिश करें कि भीड़ से पहले ही पहुंचें। यहां से आप मथुरा की यात्रा को शुरू कर सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर (Dwarkadhish Temple)
मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के द्वारकाधीश रूप को समर्पित है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं का धार्मिक केंद्र है, बल्कि इसकी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर की दीवारों और छत पर खूबसूरत नक्काशी और चित्रांकन किए गए हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को दर्शाते हैं। मंदिर परिसर में बने सुंदर आंगन और सीढ़ियाँ इसे और भी भव्यता प्रदान करते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना 1814 में ग्वालियर के एक प्रतिष्ठित अधिकारी सेठ गोकुल दास पारीख द्वारा की गई थी। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के “द्वारकाधीश” रूप की पूजा की जाती है, जो द्वारका के शासक के रूप में जाने जाते हैं। यह मंदिर मथुरा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और यहाँ हर साल लाखों भक्त भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव
- मंदिर में प्रवेश के समय आपसे सुरक्षा जांच की जा सकती है, इसलिए अपने साथ केवल ज़रूरी सामान रखें।
- मंदिर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं है।
- मंदिर के अंदर शांति बनाए रखें और अन्य भक्तों की पूजा में विघ्न न डालें।
खास टिप: मंदिर में आरती का समय बहुत खास होता है, कोशिश करें कि आरती के समय वहां रहें।
दर्शन और समय
मंदिर हर दिन सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 7:30 बजे तक खुला रहता है। खासकर श्रावण माह और जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
विश्राम घाट (Vishram Ghat)
mathura vrindavan मे यह गंगा घाट यमुना नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कंस वध के बाद यहां विश्राम किया था। यहां आकर यमुना आरती देखना एक अलग ही अनुभव है।
खास टिप: शाम को होने वाली आरती का अनुभव जरूर लें। यहां से आपको यमुना नदी की सुंदरता का अद्भुत दृश्य मिलेगा।
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मथुरा म्यूजियम (Mathura Museum)
यहां आपको भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण अवशेष और इतिहास की झलक देखने को मिलेगी। यह Mathura Vrindavan की संस्कृति और धरोहर को संजोए हुए है।
खास टिप: अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो यहां का दौरा ज़रूर करें।
गोकुल धाम
चूकी यहाँ के समस्त मंदिर दोपहर के समय 12 बजे से 4 बजे तक बंद रहते है इस बीच आप गोकुल धाम का दौरा कर सकते है मथुरा मे किसी भी डेस्टिनेशन से आप ऑटो करके गोकुल आ सकते है।
क्या आप उस भूमि पर जाना चाहेंगे, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन की लीलाएँ रचीं? मथुरा के पास स्थित गोकुल धाम भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की अद्भुत लीलाओं का साक्षी है। गोकुल धाम एक ऐसा स्थान है, जहाँ आप श्रीकृष्ण की माखन चुराने वाली, गोपियों के संग रास रचाने वाली और कंस के भेजे असुरों का वध करने वाली बाल लीलाओं को आत्मसात कर सकते हैं।
धार्मिक महत्व: गोकुल धाम वही स्थान है, जहाँ नंद बाबा और यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को पाला। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था, लेकिन उनके मामा कंस के अत्याचारों से बचाने के लिए उन्हें नंद बाबा के घर गोकुल लाया गया। यहाँ उनकी बाल लीलाएँ संसारभर में प्रसिद्ध हैं। यह भूमि बाल गोपाल की मस्ती, उनकी अद्भुत शक्तियों और अनगिनत कहानियों की गवाह रही है। भक्तों के लिए गोकुल धाम आना श्रीकृष्ण की दिव्य शक्तियों को महसूस करने जैसा है।
गोकुल धाम के मुख्य आकर्षण
गोकुल धाम में कई धार्मिक स्थल और मंदिर हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण की यादों से जुड़े हुए हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
- नंद भवन: यह वह स्थान है जहाँ नंद बाबा और यशोदा माता ने श्रीकृष्ण का पालन-पोषण किया था। इस भवन में भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की मूर्ति स्थापित है।
- उखल बंधन स्थल: यह वह स्थान है, जहाँ माता यशोदा ने नटखट कान्हा को ऊखल से बाँधा था, जो आगे चलकर यमलार्जुन वृक्षों के उद्धार का कारण बना।
- रमन रेती: इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ रेत में खेलते थे। यहाँ का वातावरण शांत और आध्यात्मिक होता है, जो मन को शांति प्रदान करता है।
खास टिप: कोशिश करे की यहाँ आकर कोई गाइड न करे खुद घूमे क्योंकि ये कुछभी कहानी सुनाते है और अधिक चढ़ावे के लिए भी फोर्स करते है। तो छलावे से बचे। गाइड Rs100 चार्ज करते है बोलते है 18 गलियाँ पूरा घुमाएंगे पर एक सिम्पल सी छोटी से गली जहां रास्ते मे कुछ मंदिर मिलते है फिर नंदबाबा का घर। तो गाइड की जरूरत तो नहीं है पर अगर आप चाहे तो कर भी सकते है।
इस प्रकार आप सुबह और शाम मथुरा के मंदिर, विश्राम घाट कवर कर सकते है और दोपहर के समय गोकुल इस प्रकार day 1 मे आपका मथुरा और गोकुल कवर हो जाएगा।
Mathura Vrindavan – Day 2
Mathura Vrindavan – Day 2 में हम कवर करेंगे हमारे प्यारे वृंदावन को
1. बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple)
वृंदावन की यात्रा की शुरुआत बांके बिहारी मंदिर से करें। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप को समर्पित है। यहां की भगवान श्रीकृष्ण की मनमोहक छवि आपको अपनी ओर खींच लेगी।
ऐतिहासिक महत्व
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास जी द्वारा की गई थी, जो भगवान कृष्ण के परम भक्त थे। कहते हैं कि स्वामी हरिदास जी को निधिवन में भगवान कृष्ण और राधा रानी के दिव्य दर्शन हुए थे। उनके अनुरोध पर, भगवान बिहारी जी ने मूर्ति रूप में प्रकट होकर यहाँ निवास किया। तभी से यह मंदिर भगवान के प्रेम, भक्ति और लीला का प्रतीक बन गया है।
बांके बिहारी का अनूठा स्वरूप
भगवान श्रीकृष्ण को यहाँ “बांके बिहारी” कहा जाता है। “बांके” का अर्थ है “झुके हुए” और “बिहारी” का अर्थ है “वृंदावन के स्वामी”। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति त्रिभंगी मुद्रा में है, जिसमें उनका शरीर तीन जगहों से झुका हुआ दिखाई देता है। यह मुद्रा श्रीकृष्ण के मनमोहक और अलौकिक स्वरूप को दर्शाती है, जिसे देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
मंदिर में पूजा और आरती का विशेष महत्व
बांके बिहारी मंदिर में पूजा का तरीका और आरती अन्य मंदिरों से थोड़ा अलग है। यहाँ भगवान की मूर्ति को पर्दे से ढका जाता है और हर कुछ क्षणों में ही भक्तों को उनके दर्शन कराए जाते हैं। कहा जाता है कि बांके बिहारी जी की मोहक छवि इतनी आकर्षक है कि भक्त उनकी ओर खिंचे चले जाते हैं, इसलिए भगवान को पर्दे के पीछे रखा जाता है।
आरती के समय मंदिर का वातावरण बेहद भक्तिमय हो जाता है। खासतौर पर होली और जन्माष्टमी के समय मंदिर में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं।
विशेष टिप:
यहां सुबह जल्दी पहुंचें क्योंकि भीड़ बहुत होती है। खास त्योहारों के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है, इसलिए समय से पहले पहुँचना लाभदायक होगा। मंदिर की आरती का अनुभव आपके मन को शांति प्रदान करेगा।
2. इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple)
इस्कॉन मंदिर (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ/International Society for Krishna Consciousness) श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और प्रेम का प्रतीक है।वृंदावन का इस्कॉन मंदिर अपनी भव्यता और शांति के लिए प्रसिद्ध है। यहां कीर्तन और भजन का अनुभव बेहद अद्वितीय होता है।
ऐतिहासिक महत्व
इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना 1966 में स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी। यह संगठन पूरी दुनिया में भगवान श्रीकृष्ण के नाम और उनके उपदेशों का प्रचार-प्रसार करता है। इस्कॉन मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक केंद्र भी है, जहाँ भक्त श्रीकृष्ण के दिव्य रूप में ध्यान लगाते हैं और उन्हें नमन करते हैं।
इस्कॉन मंदिर में क्या करें?
- भजन कीर्तन में शामिल हों: यहाँ हर दिन भक्तों द्वारा भजन कीर्तन किया जाता है। आप भी इसमें शामिल होकर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूब सकते हैं।
- प्रसाद ग्रहण करें: यहाँ आने वाले भक्तों के लिए स्वादिष्ट और पवित्र प्रसाद की व्यवस्था की जाती है।
- ध्यान और योग: इस्कॉन मंदिर में ध्यान और योग की क्लासेज भी आयोजित की जाती हैं, जहाँ आप आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कर सकते हैं।
इस्कॉन मंदिर में प्रतिदिन होने वाली मंगला आरती, संध्या आरती और हरिनाम संकीर्तन यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। आरती के समय गूंजने वाले मंत्र, शंखनाद और भजन कीर्तन का संगीत वातावरण को पूरी तरह से भक्तिमय बना देता है। भक्तगण श्रीकृष्ण के नाम का जाप करते हुए यहाँ उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
विशेष टिप:
यहां के प्रसाद का स्वाद लेना न भूलें। इस्कॉन मंदिर का प्रसाद बेहद प्रसिद्ध है।
3. प्रेम मंदिर (Prem Mandir)
वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम को भव्यता से दर्शाया गया है। यह मंदिर प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक स्थल है बल्कि एक कलात्मक और सांस्कृतिक धरोहर भी है।
ऐतिहासिक महत्व
प्रेम मंदिर की स्थापना जगद्गुरु कृपालु महाराज जी द्वारा 2001 में की गई थी, और इसका निर्माण 11 सालों में पूरा हुआ। 2012 में इसे आम जनता के लिए खोला गया। इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को एक भव्य रूप में प्रकट करना था।
प्रेम मंदिर वृंदावन का एक अनोखा और सुंदर मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को दर्शाता है। इस मंदिर की अद्भुत स्थापत्य कला और शाम को होने वाला लाइट शो इसे खास बनाता है।
“प्रेम मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है, तो आप यहाँ की सुंदरता को कैमरे में कैद कर सकते हैं। लेकिन सिर्फ मोबाईल से कैमरा की अनुमति नहीं है।”

विशेष टिप:
शाम के समय यहां का लाइट शो देखना न भूलें। मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। यह आपके वृंदावन दौरे को और भी खास बना देगा।
4. निधिवन (Nidhivan)
Mathura Vrindavan का निधिवन एक ऐसा पवित्र स्थान है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की प्रेम लीला का साक्षी है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपने अजीबोगरीब रहस्यों और मान्यताओं के कारण दुनिया भर के भक्तों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। निधिवन के पेड़, जो सामान्य पेड़ों से काफी अलग दिखते हैं, हमेशा एक झुके हुए रूप में होते हैं, ऐसा माना जाता है कि ये पेड़ भगवान कृष्ण की गोपियाँ हैं।
निधिवन की विशेषताएँ
- रहस्यमयी पेड़: निधिवन में स्थित पेड़ सामान्य पेड़ों की तरह सीधे नहीं होते। ये पेड़ हमेशा जमीन की ओर झुके हुए होते हैं और इनकी शाखाएँ एक-दूसरे में गुंथी हुई प्रतीत होती हैं, मानो ये पेड़ नृत्य कर रहे हों।
- रंग महल: निधिवन के भीतर स्थित रंग महल, वह स्थान है जहाँ हर रात भगवान श्रीकृष्ण अपनी रासलीला करते हैं। इस महल में भगवान कृष्ण के लिए रात को बिस्तर और पूजा सामग्री रखी जाती है, और सुबह तक वह सामग्री बिखरी हुई मिलती है।
- स्वयंभू राधारानी: निधिवन में एक स्थान पर राधारानी की स्वयंभू मूर्ति स्थित है। इस मूर्ति की पूजा के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि यहाँ राधारानी स्वयं प्रकट हुई थीं।
विशेष टिप:
शाम ढलने से पहले यहां का दौरा करें, क्योंकि सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश वर्जित होता है। क्योंकि माना जाता है कि जो भी यहाँ रात में रुकता है, वह अगले दिन मानसिक रूप से असंतुलित हो जाता है।
5. राधा रमण मंदिर (Radha Raman Temple)
Mathura Vrindavan के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक, राधा रमण मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के राधा रमण रूप को समर्पित है। यहां की आरती और पूजा का अनुभव एक आध्यात्मिक यात्रा जैसा होता है।
राधा रमण मंदिर का इतिहास
राधा रमण मंदिर की स्थापना 1542 में महान संत गोपीनाथ गोस्वामी ने की थी। गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों में से एक थे, जिन्होंने वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति को बढ़ावा दिया। माना जाता है कि राधा रमण जी की मूर्ति स्वयंभू है, जिसका अर्थ है कि यह मूर्ति किसी कलाकार द्वारा नहीं बनाई गई है, बल्कि यह स्वतः प्रकट हुई है। इस कारण, राधा रमण जी के दर्शन भक्तों के लिए अत्यधिक पुण्यकारी माने जाते हैं।
विशेष टिप:
इस मंदिर में कम भीड़ होती है, जिससे आप शांति से भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
इस प्रकार हम Mathura Vrindavan की पूरी यात्रा 2 दिनों मे पूर्ण कर सकते है।



FAQs
Q.1 क्या Mathura Vrindavan की पूरी यात्रा 2 दिनों मे पूर्ण कर सकते है?
A. जी हाँ, उपरोक्नुतासार आप पूरी ट्रिप कर सकते है
Q. 2 mathura vrindavan places to visit??
A. प्रेम मंदिर, बाँके बिहारी, कृष्ण जन्मभूमि, द्वारिकधीश, आदि डिटेल्स से लेख मे पढे।
Q.3 Is mathura vrindavan tour plan 2 days possible???
A. yes
Q.4 वृंदावन (mathura vrindavan) घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?
A.वृंदावन घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। जन्माष्टमी और होली के समय भी यहाँ विशेष भीड़ होती है।
Q.5 मथुरा और वृंदावन में कहाँ ठहरें?
A. मथुरा और वृंदावन में कई धर्मशालाएँ, होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार ठहरने की जगह चुन सकते हैं।
Q.6 मथुरा और वृंदावन में होली और जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
A. mathura vrindavan में होली और जन्माष्टमी विशेष रूप से धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और लीलाओं को समर्पित होते हैं, और पूरे विश्व से श्रद्धालु इन त्योहारों में भाग लेने आते हैं।
Q. क्या mathura vrindavan में गाइड की जरूरत है?
A. वैसे तो mathura vrindavan मे गाइड कोई खास जरूरत नहीं पड़ती पर यदि आप धार्मिक इतिहास और कथाओं के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो गाइड लेना सहायक हो सकता है। वहाँ पर कई स्थानीय गाइड आपको सभी मंदिरों और उनके इतिहास के बारे में बता सकते हैं।